कहां होता है बिना दवाइयों के लकवे का इलाज और जहां 7 दिनों में लकवाग्रस्त व्यक्ति हो जाता है ठीक, बताएंगे आपको एक ऐसे ही चमत्कारिक मंदिर की कहानी...


आज हम बात करने वाले हैं, राजस्थान के नागौर जिले के, बुटाटी धाम की...



जहां पूरे देश से लकवाग्रस्त पीड़ित आते हैं और बिना किसी चिकित्सा पद्धति के ठीक हो जाते हैं ।



एक तरफ जहां इस रोग के आगे चिकित्सा विज्ञान भी कम असरदार है... वहीं राजस्थान में इस बीमारी के इलाज के लिए यह मंदिर बेहद प्रसिद्ध है, लोगों का मानना है कि मंदिर में 7 दिन रह कर सुबह शाम फेरी देने व हवन कुंड की भभूत लगाने से लकवे की बीमारी में सुधार होता है और बीमारी धीरे-धीरे अपना प्रभाव कम कर देती है... इस बात को लेकर डॉक्टर और विज्ञान के जानकार भी हैरान है कि बिना दवा के कैसे लकवे के मरीज ठीक होकर जाते हैं।



मान्यता है कि लगभग 500 साल पहले संत चतुरदास जी का बुटाटी में निवास हुआ करता था। वह सिद्ध योगी थे और अपनी सिद्धियों से लकवा के रोगियों को रोगमुक्त कर देते थे।



मंदिर में आने वाले लोगों के लिए निशुल्क रहने व खाने की व्यवस्था भी है।



बुटाटी गांव के चारण कुल में जन्मे संत चतुरदास महाराज, आजीवन ब्रह्मचारी रहे। युवावस्था में हिमालय पर्वत पर लेकर गहन तपस्या करने के बाद वे वापस बुटाटी अपने गांव आ गए...... यहां तपस्या व गोसेवा करने लगे बाद में, वे देवलोक गमन हो गए।



प्रचलित दंत कथाओं के अनुसार उन्होंने अपने हिस्से की जमीन दान देने की बात कही... गांव के पश्चिम दिशा मैं केवल एक चबूतरे के निर्माण से शुरू हुआ बाबा का आस्था केंद्र अब विशाल मंदिर धाम बन गया है जहां हर साल वैशाख, भाद्रपद और माघ महीने में मेला लगता है।



यहां बहुत सारे लोगों को इस बीमारी से राहत मिली है, भक्त अपने सरदानुसार दान करते हैं जिसे मंदिर के विकास में लगाया जाता है।